शादी के गठबंधन में क्यों डालते हैं ये पांच चीजें? हर एक वस्तु का होता है विशेष महत्व
विश्व सेवा संघ न्यूज टीम
सिद्वार्थनगर।हिन्दू धर्म में शादी करना सिर्फ दो व्यक्तियों का मिलन नहीं, बल्कि दो परिवारों का एकीकरण होता है। हिन्दू धर्म के रीति रिवाज में कई नियम होते हैं, जिनका पालन हमारे पूर्वज सैकड़ों वर्षों से करते आ रहे हैं। इन अनुष्ठानों का मुख्य उद्देश्य विवाह बंधन को पवित्र बनाना और दम्पत्ति को एक सुखी जीवन के लिए आशीर्वाद देना है। दरअसल हिन्दू धर्म के रिवाजों के हर नियम का विशेष महत्व होता है। इसी कड़ी में एक रिवाज विवाह के दौरान वर-वधू के वस्त्रों के बीच गठबंधन करने का होता है। इस गठबंधन में कुछ 5 विशेष चीजें डाली जाती है और उसके बाद गांठ बनाया जाता है। गांठ में एक सिक्का, पुष्प, हल्दी, दूर्वा, अक्षत बांधा जाता है। इस गांठ में डालने वाले हर एक चीजों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता है। आइए इस लेख में गांठ में पड़ने वाले हर एक वस्तु के महत्व के बारें में विस्तार से जानते हैं। 👉सिक्का – गांठ में सिक्का बांधना इस बात का प्रतीक है कि वर-वधू के बीच में धन का पूर्ण अधिकार किसी एक पर नहीं होगा, बल्कि समान अधिकार रहेगा।👉पुष्प – फूल सौंदर्य और शुभता का प्रतीक होते हैं। गांठ में फूल डालने का अर्थ है वर-वधू का दाम्पत्य जीवन हमेशा हंसता खिलखिलाता रहेगा। दोनों एक-दूसरे को देखकर प्रसन्न हों, साथ ही एक-दूसरे की प्रशंसा भी करें।👉हल्दी – हल्दी को शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। गांठ में हल्दी डालने का अर्थ है कि वर वधू एक-दूसरे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए प्रयत्नशील रहें। दोनों के मन में एक-दूसरे के प्रति कभी हीनता का भाव न आयें।👉दूर्वा – दूर्वा इस बात का प्रतीक है कि वर-वधू के बीच प्रेम की भावना कभी न मुरझायें। दूर्वा का जीवन तत्व कभी नष्ट नहीं होता। सूखी दिखने पर भी यह पानी में डालने पर हरी हो जाती है। ठीक इसी तरह दोनों के मन में एक-दूसरे के लिए अटूट प्रेम और आत्मीयता बनी रहे।👉अक्षत – अक्षत, यानी अखंड चावल, हिन्दू विवाहों में एक महत्वपूर्ण तत्व है। इसे गठबंधन में इसलिए डाला जाता है क्योंकि यह अन्नपूर्णा देवी का प्रतीक है, जो समृद्धि और भरपूर भोजन की देवी हैं।हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में एकादशी व्रत रखा जाता है, यह सभी भगवान विष्णु को समर्पित है। एकादशी पर उपवास रखने से साधक के कष्टों का निवारण होता है। हिन्दू धर्म में सभी एकादशियां अपना विशेष महत्व रखती हैं, हालाकि इनमें मोक्षदा को सबसे खास माना गया है। पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी का व्रत रखते हैं, इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना करने से साधक के धन धान्य में वृद्धि होती हैं। शास्त्रों में मोक्षदा को ह्यमौना एकादशीह्न या ह्यमौन अग्यारसह्न भी कहते हैं, यह तिथि पितरों की पूजा के लिए भी श्रेष्ठ होती है। इस दिन दान-दक्षिणा देने से पूर्वजों को मोक्ष मिलता है।
