पत्रकारिता के वरिष्ठ पत्रकार कुतबुल्ला खान साहब अब हमारे बीच नहीं रहे

विश्व सेवा संघ न्यूज टीम

बढ़नी- सन् 1995 में स्नातक की पढ़ाई के दौरान उन्होंने कई लोगों को पत्रकारिता में आने के लिए प्रेरित किया। उस वक़्त वो क़ौमी आवाज़ में समाचार सम्पादक थे। मैंने नेशनल हेराल्ड के नवजीवन से पत्रकारिता की शुरआत की।उस वक़्त क़ौमी आवाज़ संसाधनों की कमी से जूझ रहा था। जो कि बाद में बन्द भी हो गया। कुतबुल्लाह साहब समाचार सम्पादन के अलावा संसाधनों को भी जुटाने में लगे रहते थे। बातचीत करने का भी उनसे वक़्त नहीं मिलता था। इतने वो मसरूफ रहते थे। जब भी लखनऊ जाना होता तो वो देर रात 12 बजे के बाद ही मिलने का वक़्त देते थे। मरहूम डा0 अज़हर साहब साथ में होते थे। बड़े इत्मीनान से चाय की चिस्कियों के साथ दुनिया जहान की बातें करते थे। वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, कौमी आवाज, राष्ट्रीय सहारा जैसे बड़े अखबारों में ईमानदारी से महत्त्वपूर्ण पदों पर रहते हुए उन्होंने कई किताबें लिखी थी। उनकी लिखी किताबें उर्दू के पत्रकारिता के छात्रों को भी पढ़ाई जाती हैं। आपको बता दें कि पिछले कई दिनों से वो बीमार थे। तालीमी बेदारी के सेमिनार में विगत 24 नवम्बर को उन्हे सम्मानित भी किया जाना था। जब सगीर खासगार ने दो दिन पहले फोन किया तो पता चला कि वो अस्पताल में एडमिट हैं। सोमवार सुबह 9:00 बजे लखनऊ में उन्होंने आखिरी सांस ली। उनके इंतेक़ाल से मीडिया जगत को बड़ी क्षति हुई है। खास करके उर्दू सहाफत को गहरा धक्का पहुंचा है। सिद्धार्थनगर जिले के दुधवनिया बुज़ुर्ग के रहने वाले क़ुतबुल्लाह खान साहब वैश्विक घटनाओं पर पैनी नज़र रखते थे। मध्य पूर्व मामलों के विशेषज्ञ थे। वो मध्य पूर्व के बड़े मीडिया संस्थानो के लिए भी लिखते थे। अरब न्यूज़ से भी जुड़े थे। लखनऊ विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा हासिल करने वाले खान साहब को उनके आबाई वतन ग्राम दुधवानिया बुर्जुग, बढ़नी, जिला सिद्धार्थनगर में सोमवार रात में सुपुर्द खाक किया जायेगा।

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