विश्व सेवा संघ दैनिक समाचार

खबर सूत्रों से….

जनगणना नहीं होने के कारण फिलहाल परिसीमन संभव नहीं 

लखनऊ – पंचायतें अब धीरे धीरे चुनावी मूड में जाने लगी हैं। इस वित्तीय वर्ष के अंतिम माह में अधिक से अधिक धनराशि गांवों के विकास पर खर्च करने की होड़ होगी। बड़ी पंचायतें गांवों में खड़ंजा, नाली, चकरोड निर्माण करने में जुट गई हैं। सभी अपने-अपने वोटरों को खुश करने में जुट गए हैं। इतना ही नहीं हाल ही में हुए जीरो पावर्टी स्कीम के सर्वे में भी पंचायतों ने बढ़चढ़कर दिलचस्पी दिखाई है ताकि वंचित गरीबों का नाम सूची में जुड़ सके। योजना से जब यह लाभान्वित होंगे तो इसका क्षेय अपने नाम कर सकेंगे। 

दूसरी तरफ पंचायत चुनाव कार्यालय भी अगले साल होने वाले चुनाव की तैयारी में अभी से जुट गया है। बताया जा रहा है कि जनगणना अब तक न होने के कारण परिसीमन की दूर तक संभावना नहीं दिख रही है। इसलिए चुनाव वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर ही होगा। होली बाद मतदाता सूची का पुनरीक्षण होगा। नए मतदाता जुड़ेंगे। मृतकों के नाम मतदाता सूची से हटाए जाएंगे। हालांकि आयोग की ओर से अभी गाइडलाइन नहीं आया है। 

राष्ट्रीय पंचायती राज ग्राम प्रधान संगठन के जिलाध्यक्ष रामसूरत यादव ने कहा कि बड़ी पंचायतों के पास अच्छी खासी राशि ग्राम निधि व 15वें के वित्त आयोग की है। यह सभी इस क समय गांवों में पैसा खपाने में जुटे हैं। छोटी पंचायतों के पास विकास के नाम पर कुछ खास नहीं है। हालांकि अब पंचायत चुनाव तैयारी में हैं। गांवों में इसका माहौल बनने लगा है। समय बहुत कम है। मार्च बाद मतदाता सूची में नाम जोड़ने की कवायद शुरू हो जाएगी। इसके बाद मतदाताओं को नाम जोड़ने का अवसर मिलेगा।

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"चाटुकारिता नहीं पत्रकारिता ✍️✍️"

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