up mansoon

लेखक: संपादकीय टीम, विश्व सेवा संघ उत्तर प्रदेश में मानसून 2025

प्रकाशन तिथि: 15 जून 2025


🌧️ मानसून की प्रतीक्षा: आमजन की निगाहें आसमान पर

उत्तर प्रदेश में गर्मी अपने चरम पर पहुंच चुकी है। मई के अंतिम सप्ताह से ही आमजन मानसून की प्रतीक्षा कर रहा है। हर वर्ष की तरह इस बार भी मौसम विभाग (IMD) ने 15–20 जून के बीच पूर्वी उत्तर प्रदेश में मानसून के आगमन की संभावना जताई है। लेकिन इस बार मानसून के कुछ दिन देरी से पहुंचने की आशंका है, जिससे आमजन और किसान दोनों ही चिंतित हैं। उत्तर प्रदेश में मानसून 2025


📊 अब तक की स्थिति: जून का पहला पखवाड़ा सूखा

राज्य के अधिकांश जिलों में जून के पहले दो सप्ताह तक औसत से कम वर्षा दर्ज की गई है। लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी, सिद्धार्थनगर जैसे जिलों में अधिकतम तापमान 42–44 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है। लू का प्रकोप बढ़ रहा है और इससे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।


🚜 किसानों की चिंता: बुवाई में हो रही देरी

उत्तर प्रदेश कृषि प्रधान राज्य है। मानसून के आगमन में देरी का सबसे बड़ा असर किसानों पर पड़ रहा है। धान, मक्का, अरहर जैसे खरीफ फसलों की बुवाई मानसून की पहली बारिश के साथ शुरू होती है। अगर बारिश समय से न हो, तो बुवाई टलती है और उत्पादकता पर असर पड़ता है।

एक किसान रामविलास यादव (गोंडा जिला) कहते हैं:
“हर साल जून में धान की बुवाई शुरू हो जाती थी, लेकिन इस बार अब तक एक बूंद पानी नहीं गिरा है। अगर इस हफ्ते बारिश नहीं हुई, तो हमें नलकूप से सिंचाई करनी पड़ेगी, जिससे लागत बढ़ जाएगी।”


🏥 स्वास्थ्य संकट: लू और डिहाइड्रेशन से मौतें

मौसम की मार सिर्फ फसलों तक सीमित नहीं है। सरकारी अस्पतालों से मिल रही रिपोर्ट के अनुसार, लू और हीट स्ट्रोक के कारण कई जिलों में लोगों की मौतें हो रही हैं। डिहाइड्रेशन और पेट से संबंधित बीमारियों के मामले तेजी से बढ़े हैं। गांवों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर दवाओं की कमी और डॉक्टरों की अनुपस्थिति से स्थिति और खराब हो रही है।


🏘️ शहरी क्षेत्रों की स्थिति: बिजली-पानी का संकट

शहरों में भी हालात चिंताजनक हैं। घंटों बिजली कटौती, कम वोल्टेज और जलापूर्ति की अनियमितता ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज और मेरठ जैसे शहरों में रोज़ाना 6 से 8 घंटे की बिजली कटौती की जा रही है। नलकूप और टंकी आधारित जल आपूर्ति पर निर्भरता बढ़ गई है।


🧑‍🏫 स्कूल और छात्र: गर्मी की छुट्टियाँ भी बनी चुनौती

सरकारी स्कूलों में गर्मी की छुट्टियाँ घोषित कर दी गई हैं, लेकिन कई निजी विद्यालय अभी भी खुल रहे हैं। छोटे बच्चों को इतनी भीषण गर्मी में स्कूल भेजना अभिभावकों के लिए चिंता का विषय है। कुछ जिलों में जिला प्रशासन ने स्कूल बंद रखने का निर्देश दिया है, लेकिन पालन अधूरा है।


🚨 प्रशासनिक तैयारी: अलर्ट पर जिला अधिकारी

प्रदेश सरकार की ओर से सभी जिलाधिकारियों को अलर्ट पर रखा गया है। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि:

  • वर्षा होने पर निचले इलाकों में जलभराव की स्थिति से निपटने की तैयारी की जाए।
  • ग्राम पंचायतों में प्राथमिक चिकित्सा किट और ORS की व्यवस्था हो।
  • जिन जिलों में बाढ़ की संभावना अधिक है, वहां बोट, राहत केंद्र और जनसंपर्क की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

हालांकि ज़मीनी स्तर पर कई जिलों में इन तैयारियों की स्थिति संतोषजनक नहीं है।


🌱 मानसून की उम्मीदें: कब पहुंचेगा उत्तर प्रदेश में?

मौसम विभाग के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून ने केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों को कवर कर लिया है। अनुमान है कि 17 से 20 जून के बीच यह पूर्वी उत्तर प्रदेश (जैसे सिद्धार्थनगर, देवरिया, बलिया, गोरखपुर) में पहुंच जाएगा। पश्चिमी यूपी में मानसून 22–25 जून के बीच दस्तक दे सकता है।


📺 मीडिया की भूमिका: ज़मीन से जुड़ी खबरें ज़रूरी

इस कठिन समय में मीडिया की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। विश्व सेवा संघ, हिंदी दैनिक समाचार पत्र एवं vishvsevasangh.com की टीम ने ग्रामीण क्षेत्रों से ग्राउंड रिपोर्टिंग शुरू कर दी है। हम आगे भी:

  • गाँव-गाँव से मानसून की स्थिति बताएंगे
  • किसान, आमजन, डॉक्टर और अफसरों की आवाज़ जनता तक पहुंचाएंगे
  • हेल्थ + एजुकेशन + किसान आधारित वीडियो कंटेंट YouTube चैनल – Hindustan News Nation पर लाएंगे

✍️ निष्कर्ष: मानसून सिर्फ मौसम नहीं, जीवन का हिस्सा है

उत्तर प्रदेश में मानसून का आना केवल एक जलवायु घटना नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों के जीवन से जुड़ी एक उम्मीद होती है। यह उम्मीद खेतों को सिंचाई देती है, तालाबों को भरती है और गर्मी से राहत देती है। लेकिन जब ये देर से आता है, तो चिंता और संकट का कारण बनता है।

राज्य सरकार, प्रशासन, मीडिया और आम नागरिकों को मिलकर इस स्थिति से निपटना होगा। जब तक मानसून पूरी तरह से सक्रिय न हो जाए, तब तक हमें सतर्क रहकर पानी की बचत, स्वास्थ्य की देखभाल और सूचना आदान-प्रदान बनाए रखना होगा।

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