पूर्व में भी ढेबरुआ थाना क्षेत्र के डढ़ऊल गांव के पास सरयू नहर में जल प्रवाहित की गई थी
दवाएं स्वास्थ विभाग की उदासीनता के चलते नही लग पा रहा लगाम,एक्सपायर दवाओं को छूने से पशु पंक्षी व बच्चे हो सकते हैं संक्रमित
विश्व सेवा संघ संवाददाता
अर्जुन यादव
बढ़नी। ढेबरुआ थाना क्षेत्र के विकास खंड बढ़नी के बगल डढ़ऊल गांव के पास सरयू राप्ती मुख्य नहर की पटरी पर खुले मैदान में शनिवार को भारी मात्रा में दवाएं देखी गई थी। जिसमें इंजेक्शन, टेबलेट, सिरप, कैप्सूल, टानिक आदि कई तरह की एलोपैथिक दवाएं शामिल थी। जो देखने पर लग रहा था कि मेडिकल स्टोर पर बिकने वाली अलग अलग प्राइवेट कंपनियों की थी।
जिसमें से कुछ दवाएं 2022 में एक्सपायर हो चुकी थी और कुछ 2027 में होने वाली थी। अब सवाल उठता है कि जो दवाएं 2-3 वर्ष पहले एक्सपायर हो चुकी थी उसे अभी तक दुकान या गोदाम में क्यों रखा गया था ? और जो दवा अभी दो वर्षों तक बेचने की समय-सीमा थी उसे क्यों फेंक दिया गया? क्या वह डुप्लीकेट था या फिर चोरी का माल था? यह जांच का विषय बन चुका है। जबकि पूर्व में भी बीते वर्ष जुलाई 2024 में नहर के अंदर बहते हुए पानी में एक्सपायर दवाओं को फेंका गया था।
जिसकी खबरें भी कई अखबारों में प्रकाशित हुआ था। इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के कारण ऐसी चीज़ों पर लगाम नहीं लग पा रहा है। आसपास के रहने वाले लोग अनुमान लगा रहे है। कि कुछ दूरी पर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के आसपास कई मेडिकल स्टोर होलसेलर व रिटेलर की दर्जनों दुकानें संचालित हो रही है। ऐसे लोगों का कारनामा हो सकता है।बहरहाल दवाएं कहां से आई किसने फेंका ये जांच का विषय है।
विशेषज्ञों की मानें तो लोग काम न आने वाली इन दवाओं सिरिज और इनहेलर को पॉलीथिन में भरकर कूड़ेदान में फेंक देते हैं। इससे न केवल हमारा पर्यावरण बल्कि आस-पास रह रहे लोगों को भी खतरा हो सकता है। हर दवा को फेंकने के भी अलग अलग नियम होते हैं।
सभी को इनके बारे में पता होना चाहिए। बेकार हो चुकी दवाओं को किसी तरह की मिट्टी में नहीं मिलाना चाहिए। इससे पर्यावरण को नुक़सान पहुंचता है। इससे वॉटर पॉल्य्यूशन बढ़ेगा, जो हम सभी के लिए खतरा है। कुछ लोग पैकेट सहित दवाएं डस्टबिन में फेंक देते हैं।
यह कूड़ा बीनने वालों और जानवरों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। एक्सपायरी दवा को डिस्पोज करने का पहला तरीका है मैन्युफैक्चरर को दवा लौटाना। कई शहरों में टेक बैंक मेडिसिन सेंटर और फार्मेसी होती है। उक्त संबंध में डीएम राजा गणपति आर का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग के सीएओ को मामले से अवगत करा दिया गया है। मामले की जांच कर आगे की कार्यवाही की जायेगी।