जिला मुख्यालय सिद्धार्थनगर में आजाद अधिकार सेना ने राजस्व विभाग में फैलते भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक बड़ा और जोरदार प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन का नेतृत्व सेना के जोनल अध्यक्ष श्री जितेन्द्र कुमार पाण्डेय ने किया। प्रदर्शनकारियों ने प्रशासनिक अमले के माध्यम से जिलाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें राजस्व विभाग से संबंधित गंभीर अनियमितताओं और रिश्वतखोरी के मामलों को उजागर किया गया। राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार
रिपोर्ट: विश्व सेवा संघ सिद्धार्थनगर,
ज्ञापन में बताया गया कि राजस्व विभाग में बिना सुविधा शुल्क के कोई भी कार्य नहीं हो रहा है। चाहे वह विरासत दर्ज करना हो, जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र बनवाना हो या फिर खसरा-खतौनी की नकल प्राप्त करने जैसे जरूरी कार्य, हर स्तर पर जनता से अवैध वसूली की जा रही है। इसके अलावा किसान सम्मान निधि जैसी महत्वपूर्ण योजना का लाभ भी आम किसानों तक नहीं पहुंच पा रहा है, जब तक वे कथित तौर पर सुविधा शुल्क न दें।
राजस्व न्यायालयों में मनमानी और भ्रष्टाचार चरम पर
ज्ञापन में इस बात पर भी गहरी चिंता व्यक्त की गई कि राजस्व न्यायालयों में पारदर्शिता का अभाव है और वहां पर मामले वर्षों तक लटकाए जाते हैं। फरियादी पक्ष से बार-बार दस्तावेज मांगना, तारीख पर तारीख देना और अवैध लेनदेन के बिना न्याय की प्रक्रिया पूरी न होना – यह एक आम अनुभव बन चुका है। आरोप लगाया गया कि लेखपालों और ग्राम प्रधानों की मिलीभगत से अपात्र व्यक्तियों को पट्टे आवंटित किए जा रहे हैं, जिससे योग्य और जरूरतमंद भूमिहीन ग्रामीणों को उनके अधिकार से वंचित होना पड़ रहा है।
प्रशासन से की गई मुख्य मांगें
प्रदर्शन के दौरान सौंपे गए ज्ञापन में आजाद अधिकार सेना ने जिलाधिकारी से निम्नलिखित मुख्य मांगें कीं:
- राजस्व विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर तत्काल रोक लगाई जाए।
- राजस्व विभाग के प्रत्येक कार्य की पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।
- हर शिकायत की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कराई जाए।
- फर्जी निस्तारण करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
- लेखपालों द्वारा सुविधा शुल्क की मांग पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाए।
- भूमिहीनों को न्यायसंगत तरीके से पट्टा आवंटित किया जाए और अपात्र लोगों को मिले पट्टों की जांच कर उन्हें रद्द किया जाए।
प्रदर्शन में दिखा जनसमर्थन, महिलाएं भी रहीं शामिल
आजाद अधिकार सेना के इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में आम नागरिक, युवा और महिलाएं शामिल हुईं। प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा लेकिन नारों और जनभावनाओं में आक्रोश स्पष्ट दिखाई दे रहा था। महिला जिलाध्यक्ष श्रीमती कुसुम लोधी की उपस्थिति ने इस आंदोलन को और अधिक मजबूती प्रदान की। उनके साथ राहुल गौतम, रोहित दूबे, ऋषभ धर द्विवेदी, प्रदीप प्रजापति जैसे वरिष्ठ पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी उपस्थित रहे। सभी ने एक स्वर में प्रशासन से पारदर्शिता और ईमानदारी की मांग की।
जनता की पीड़ा – एक साक्षात्कार
प्रदर्शन में उपस्थित कुछ ग्रामीणों ने विश्व सेवा संघ डॉट कॉम से बातचीत में अपने अनुभव साझा किए। बांसी क्षेत्र के निवासी रामपाल ने बताया, “मैं पिछले तीन महीने से अपनी जमीन की विरासत दर्ज कराने के लिए लेखपाल के पास चक्कर काट रहा हूं, लेकिन हर बार कुछ न कुछ बहाना बनाकर टाल दिया जाता है। जब तक जेब गर्म न करें, फाइल आगे नहीं बढ़ती।”
इटवा की रहने वाली महिला सरोजा देवी ने कहा, “हम गरीब लोग जाति प्रमाण पत्र नहीं बनवा पाते, क्योंकि हर जगह सुविधा शुल्क मांगा जाता है। सरकार की योजनाओं का लाभ हम तक नहीं पहुंच पाता।”
जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर सवाल
प्रदर्शनकारियों ने यह भी सवाल उठाया कि आखिर जनता के हितों के लिए चुने गए जनप्रतिनिधि इस प्रकार की शिकायतों पर क्यों चुप हैं। वे इस मुद्दे को पंचायत स्तर से लेकर विधानसभा और संसद तक क्यों नहीं उठाते? जनता को उनके प्रतिनिधियों से उत्तरदायित्व की अपेक्षा है, जो फिलहाल नदारद दिखाई देता है।
क्या कहता है प्रशासन?
प्रशासन की ओर से ज्ञापन स्वीकार करते हुए यह आश्वासन दिया गया कि शिकायतों की जांच कराई जाएगी और यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी दोषी पाया गया तो उस पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, प्रदर्शनकारी इस बात पर अडिग हैं कि केवल आश्वासन नहीं, जमीनी स्तर पर कार्रवाई और सुधार आवश्यक है।
निष्कर्ष:
राजस्व विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार ने आम नागरिकों की परेशानियों को कई गुना बढ़ा दिया है। इस प्रदर्शन ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि जब जनता के अधिकारों का हनन होता है, तब संगठन और जनता एकजुट होकर आवाज़ उठाते हैं। अब देखना यह है कि प्रशासन इस चेतावनी को कितना गंभीरता से लेता है और सुधार के क्या कदम उठाता है।
रिपोर्टर
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