जिले के ऐतिहासिक बर्मी बुद्ध विहार में बुधवार को म्यांमार (बर्मा) के राजदूत HE. Mr. Zaw Oo ने अचानक पहुंचकर स्थल का निरीक्षण किया। विहार की जर्जर स्थिति देखकर उन्होंने गहरी चिंता जताई और इसे “बौद्ध अनुयायियों की सार्वजनिक धरोहर” करार दिया।
विश्व सेवा संघ, संवाद सूत्र सिद्धार्थनगर।
राजदूत ने स्पष्ट कहा कि यह विहार बर्मा के प्रधानमंत्री के प्रयासों से स्थापित हुआ था और इसके निर्माण में म्यांमार के नागरिकों ने आर्थिक योगदान दिया था। अतः यह स्थल किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति नहीं हो सकता। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि कोई व्यक्ति या समूह इस पवित्र स्थल पर अवैध कब्जे या नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
HE. Mr. Zaw Oo ने कहा कि जरूरत पड़ने पर भारत सरकार से भी सहयोग लिया जाएगा, ताकि इस ऐतिहासिक बौद्ध स्थल की गरिमा बनी रहे। उन्होंने बर्मी बुद्ध विहार से जुड़े विवादों के शीघ्र समाधान का आश्वासन दिया और इसके संरक्षण एवं विकास हेतु हर संभव सहायता देने की बात कही।
इस अवसर पर उन्होंने विहार के पुनरुद्धार एवं एक भव्य बौद्ध स्तूप के निर्माण के लिए आर्थिक सहयोग देने की घोषणा भी की। विहार के प्रभारी पूज्य भिक्खु आलार कालाम के नेतृत्व में बड़ी संख्या में उपासक व उपासिकाओं ने राजदूत का स्वागत किया और उन्हें वर्तमान हालात से अवगत कराया।
राजदूत की इस महत्वपूर्ण यात्रा से स्थानीय बौद्ध समुदाय में नया उत्साह और आशा का संचार हुआ। कार्यक्रम के दौरान उपासक महेंद्र प्रसाद बौद्ध, रविंद्र जाटव, एडवोकेट विपिन बौद्ध, डॉ. रवि चौधरी, डॉ. स्वतंत्र कुमार, पीआर आजाद, रामप्यारे, चंद्रिका प्रसाद गौतम, डॉ. विंध्याचल प्रेमचंद, डॉ. प्रेमचंद चौधरी, सुरेंद्र मौर्य, मनोज कुमार (संपादक, MKA न्यूज़), उपासिका गुड़िया सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।