नई दिल्ली | 15 अप्रैल 2025
पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले के मुख्य आरोपी और भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चौकसी की बेल्जियम में गिरफ्तारी के बाद भारत सरकार ने उसके प्रत्यर्पण को लेकर अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए CBI और ED के 6 वरिष्ठ अधिकारी जल्द ही बेल्जियम जाएंगे, जहां वे चौकसी के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे।
यह गिरफ्तारी भारत सरकार के विशेष आग्रह पर की गई है और इसे एक बड़ी कूटनीतिक सफलता माना जा रहा है। भारत पिछले कई वर्षों से चौकसी को देश वापस लाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अब जाकर इसमें निर्णायक मोड़ आया है।
कौन है मेहुल चौकसी?
मेहुल चौकसी हीरा कारोबार से जुड़ा वह नाम है, जो साल 2018 में देश की सबसे बड़ी बैंकिंग धोखाधड़ी का चेहरा बना। उस पर आरोप है कि उसने अपने भतीजे नीरव मोदी के साथ मिलकर 13,000 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की। इस घोटाले ने न केवल भारत के बैंकिंग सिस्टम को झटका दिया, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी देश की साख को प्रभावित किया।
घोटाले का पर्दाफाश होते ही चौकसी देश छोड़कर भाग गया। पहले वह एंटीगुआ और बारबुडा में जाकर बसा, जहां उसे नागरिकता भी मिल गई। लेकिन भारत सरकार की लगातार कोशिशों और कानूनी लड़ाइयों के चलते उसकी मुश्किलें बढ़ती रहीं।
बेल्जियम में गिरफ्तारी कैसे हुई?
सूत्रों के अनुसार, मेहुल चौकसी काफी समय से बेल्जियम में छुपा हुआ था और नाम बदलकर रह रहा था। भारत की सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को इसकी जानकारी मिली, जिसके बाद उन्होंने इंटरपोल और बेल्जियम की पुलिस से संपर्क साधा। लंबी निगरानी और सहयोग के बाद चौकसी को बेल्जियम में गिरफ्तार किया गया।
गौरतलब है कि बेल्जियम में उसकी गिरफ्तारी भारत के औपचारिक आग्रह पर हुई है, जिससे प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में तेजी आने की उम्मीद है।
CBI और ED की टीम बेल्जियम क्यों जा रही है?
भारत सरकार ने अब इस पूरे मामले को एक मिशन मोड में लेने का फैसला किया है। CBI और ED के छह वरिष्ठ अधिकारी बेल्जियम रवाना होंगे, जहां वे वहां की कानूनी और न्यायिक एजेंसियों से मिलकर चौकसी को भारत वापस लाने की प्रक्रिया को औपचारिक रूप देंगे।
इन अधिकारियों की यात्रा का मुख्य उद्देश्य है –
- बेल्जियम सरकार को सभी जरूरी दस्तावेज सौंपना
- भारतीय अदालतों द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट को प्रस्तुत करना
- चौकसी के खिलाफ साक्ष्यों की विस्तृत जानकारी देना
- बेल्जियम की अदालत में चल रही प्रत्यर्पण सुनवाई में भाग लेना
125 साल पुरानी संधि बन सकती है बड़ा हथियार
भारत और बेल्जियम के बीच 1901 में एक प्रत्यर्पण संधि हुई थी। यह संधि उस समय हुई थी जब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था। आश्चर्य की बात यह है कि यह संधि आज भी वैध मानी जाती है और इसके तहत भारत चौकसी को वापस लाने की वैधानिक मांग कर सकता है।
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, यह संधि भारत के पक्ष में एक मजबूत आधार बन सकती है। चूंकि गिरफ्तारी भारत के अनुरोध पर हुई है और दोनों देशों के बीच कानूनी सहयोग की व्यवस्था है, इसलिए प्रत्यर्पण में अब अधिक बाधा नहीं आनी चाहिए।
क्या मेहुल चौकसी को जल्द भारत लाया जा सकता है?
इस प्रश्न का उत्तर ‘हां’ भी हो सकता है और ‘नहीं’ भी। ‘हां’ इसलिए, क्योंकि भारत सरकार ने सभी जरूरी कूटनीतिक और कानूनी प्रक्रियाएं पूरी कर ली हैं और बेल्जियम की गिरफ्तारी भारत के आग्रह पर ही हुई है।
‘नहीं’ इसलिए, क्योंकि चौकसी की ओर से प्रत्यर्पण के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी जा सकती है। वह यह तर्क दे सकता है कि भारत में उसे निष्पक्ष सुनवाई नहीं मिलेगी या उसकी जान को खतरा है। हालांकि, भारतीय एजेंसियों ने इस बार सबूतों का पूरा पिटारा तैयार कर रखा है और उन्हें उम्मीद है कि बेल्जियम की अदालत भारत के पक्ष में फैसला देगी।
क्या कहते हैं जानकार?
कानून विशेषज्ञों का कहना है कि यदि भारत इस संधि का सही तरीके से उपयोग करता है, और बेल्जियम की अदालतें भारतीय पक्ष के तर्कों से संतुष्ट होती हैं, तो मेहुल चौकसी को कुछ ही महीनों में भारत लाया जा सकता है।
वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक गुप्ता का कहना है, “1901 की संधि कानूनी रूप से प्रभावी है। इसके तहत भारत को मजबूत स्थिति मिलती है। चौकसी की गिरफ्तारी भारत की बड़ी जीत है, अब केवल प्रक्रियाएं पूरी करनी हैं।”
निष्कर्ष
मेहुल चौकसी की गिरफ्तारी और भारत द्वारा प्रत्यर्पण प्रयासों को तेज करना एक स्पष्ट संकेत है कि देश अब आर्थिक अपराधियों को छोड़ने के मूड में नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्रालय की ओर से दी गई प्राथमिकता के चलते CBI और ED ने कमर कस ली है।
यदि सब कुछ योजना के अनुसार चलता है, तो बहुत जल्द ही मेहुल चौकसी भारत की अदालतों में जवाबदेह होगा और उन हजारों करोड़ रुपये की हेराफेरी के लिए न्याय का सामना करेगा, जिसे वह पीछे छोड़कर भाग गया था।
लेखक: विशेष संवाददाता, विश्व सेवा संघ
**स्रोत: एजेंसियां