स्थान: शोहरतगढ़, सिद्धार्थनगर, उत्तर प्रदेश
रिपोर्टर: yogendra Jayswal, विश्व सेवा संघ संवाददाता
सिद्धार्थनगर जिले के शोहरतगढ़ विकासखंड में शुक्रवार को एक प्रशासनिक हलचल देखने को मिली, जब दर्जनों की संख्या में ग्राम रोजगार सेवकों ने ब्लॉक परिसर में एकजुट होकर जिला विकास अधिकारी (डीडीओ) पर गंभीर आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन का कारण था — ग्राम पंचायत जमुनी के रोजगार सेवक श्री रविशंकर मिश्र के साथ कथित तौर पर की गई अभद्र भाषा, अपमानजनक व्यवहार और ₹ की रिश्वत की माँग।
यह मामला केवल एक कर्मचारी का व्यक्तिगत अनुभव नहीं था, बल्कि यह घटना पूरे जिले के रोजगार सेवकों में गुस्से की आग बनने लगी, जिसे रोकने के लिए प्रशासन को जल्द ही हस्तक्षेप करना पड़ सकता है।
क्या है पूरा मामला?
ग्राम पंचायत जमुनी में कार्यरत रोजगार सेवक रविशंकर मिश्र ने बताया कि वे अपने कार्य से संबंधित विवरण देने और कुछ तकनीकी विषयों पर चर्चा करने के लिए जिला विकास अधिकारी श्री गोपाल प्रसाद कुशवाहा से मिलने ब्लॉक कार्यालय पहुंचे थे। इसी दौरान अधिकारी ने न केवल अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया, बल्कि ₹ की अवैध माँग भी कर डाली।
रविशंकर मिश्र ने कहा, “मैं अपने कर्तव्यों का पालन कर रहा था, लेकिन अधिकारी ने मेरे साथ जिस तरह का व्यवहार किया, वह अत्यंत निंदनीय है। उन्होंने न केवल गालियाँ दीं, बल्कि साफ़ तौर पर कहा कि बिना धन दिए कोई काम नहीं होगा।”
प्रदर्शन ने पकड़ा ज़ोर
इस घटना की जानकारी जब अन्य रोजगार सेवकों को हुई, तो पूरे शोहरतगढ़ ब्लॉक के रोजगार सेवक एकत्र होकर ब्लॉक परिसर में पहुँच गए। उन्होंने “भ्रष्टाचार मुर्दाबाद” और “DDO गोपाल कुशवाहा इस्तीफा दो” जैसे नारों के साथ धरना प्रदर्शन किया।
महिला और पुरुष दोनों वर्गों के रोजगार सेवक इस प्रदर्शन में शामिल हुए। सभी की एक ही माँग थी — डीडीओ के खिलाफ निष्पक्ष जांच हो और उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए। कई लोगों ने कहा कि यह कोई पहली बार नहीं है, बल्कि पहले भी अधिकारी पर इसी तरह के आरोप लग चुके हैं, लेकिन कभी कोई कार्यवाही नहीं हुई।
प्रदर्शनकारियों की मुख्य माँगें
डीडीओ गोपाल प्रसाद कुशवाहा के खिलाफ तत्काल जांच और निलंबन।
भ्रष्टाचार मुक्त पंचायत प्रशासन की स्थापना।
रोजगार सेवकों की गरिमा और सुरक्षा की गारंटी।
भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए एक हेल्पलाइन या शिकायत तंत्र की व्यवस्था।
प्रशासन की चुप्पी
घटना के कई घंटे बीत जाने के बाद भी जिला प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है। प्रदर्शनकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि शिकायतें दर्ज कराने के बावजूद अधिकारियों द्वारा टालमटोल किया जा रहा है।
स्थानीय प्रशासन के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “यह मुद्दा गंभीर है और उच्चाधिकारियों तक पहुँच चुका है। जल्द ही कोई कार्यवाही हो सकती है, लेकिन आधिकारिक रूप से कुछ कहना फिलहाल संभव नहीं है।”
क्या कहते हैं सामाजिक कार्यकर्ता?
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता और आरटीआई एक्टिविस्ट श्री रमेश यादव का कहना है, “जब प्रशासनिक अधिकारी ही भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाते हैं, तो जमीनी स्तर पर काम करने वाले कर्मियों को कौन बचाएगा? यह मामला केवल रविशंकर जी का नहीं, बल्कि सिस्टम की खामियों का दर्पण है।”
ग्राम रोजगार सेवकों की भूमिका और चुनौतियाँ
भारत सरकार की महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) के तहत ग्राम पंचायतों में नियुक्त रोजगार सेवकों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। वे योजनाओं का संचालन, कार्यान्वयन और निगरानी का काम करते हैं। लेकिन, कई बार इन्हें उच्च अधिकारियों की मनमानी, भ्रष्टाचार और दबाव का सामना करना पड़ता है।
इस मामले ने इस बात को उजागर किया है कि किस तरह ग्राम स्तरीय कर्मचारी प्रशासनिक अधिकारियों के अत्याचार का शिकार बनते हैं और उनके पास शिकायत के सीमित विकल्प होते हैं।
क्या होगा आगे?
यदि प्रशासन निष्पक्ष जांच करता है और दोषी पाए जाने पर अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही होती है, तो यह अन्य कर्मचारियों के लिए भी एक साहसिक उदाहरण बन सकता है।
यदि मामले को दबा दिया जाता है, तो भविष्य में कर्मचारियों का मनोबल और कार्यक्षमता प्रभावित होगी।
इसे भी पढ़ें..https://vishvsevasangh.com/
Accusations of abusive language and illegal collection against the District Development Officer have sparked a strong protest from Siddharthnagar’s employment assistants. The allegations highlight corruption issues, raising significant social concern about ensuring a corruption-free system.