रिपोर्ट: विश्व सेवा संघ

बांसी/सिद्धार्थनगर

सिद्धार्थनगर जनपद के विकास खंड बांसी अंतर्गत ग्राम पंचायत तेजगढ़ में ग्राम विकास के नाम पर हो रहे कथित भ्रष्टाचार का मामला एक बार फिर से सामने आया है। ग्रामवासी चीनक पुत्र बहादुर ने ग्राम प्रधान पर गंभीर आरोप लगाते हुए जिला प्रशासन से मांग की है कि ग्राम पंचायत में कराए गए सभी निर्माण कार्यों और खर्च की जांच की जाए। शिकायतकर्ता ने इस संबंध में शपथ पत्र (नोटरी द्वारा प्रमाणित बयान-हलफी) के माध्यम से जिलाधिकारी और खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) को शिकायत पत्र सौंपा है।


शिकायत की प्रमुख बातें:

चीनक ने अपने शपथ पत्र में आरोप लगाया है कि ग्राम प्रधान द्वारा सरकारी योजनाओं की धनराशि का जमकर दुरुपयोग किया जा रहा है। शिकायत में कहा गया है कि –

  • मनरेगा योजना के अंतर्गत मस्टर रोल में दर्ज मजदूरों की संख्या की तुलना में वास्तव में कार्य पर बहुत कम मजदूर लगाए गए हैं।
  • रोजगार सेवक की लापरवाही और कार्यस्थल की अनदेखी से सरकार की योजना मज़ाक बनकर रह गई है।
  • ग्राम सचिव और जेई (जूनियर इंजीनियर) की मिलीभगत से गुणवत्ताहीन कार्य कराए जा रहे हैं।
  • इंटरलॉकिंग कार्य में मानकों की अनदेखी की गई है — बालू की जगह खेत की मिट्टी का इस्तेमाल किया गया, वहीं घटिया ईंटों का प्रयोग कर सरकारी धन का अपव्यय किया गया।
  • 14वें और 15वें वित्त आयोग के अंतर्गत आवंटित धनराशि को निकाल कर उसका अनियमित तरीके से उपयोग किया गया है।
  • ग्राम में अब तक जितने भी निर्माण और विकास कार्य कराए गए हैं, वे सभी मानकों के प्रतिकूल और कागजी खानापूर्ति मात्र हैं।

जनहित में जांच की मांग

चीनक ने अपने शिकायत पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा है कि इन तमाम अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को देखते हुए आवश्यक है कि ग्राम पंचायत में कराए गए कार्यों की जमीनी स्तर पर जांच कराई जाए। साथ ही ग्रामवासियों और शिकायतकर्ता का बयान दर्ज करते हुए प्रधान के विरुद्ध विधिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

उन्होंने यह भी कहा कि यदि जांच निष्पक्ष ढंग से कराई गई, तो सच्चाई अपने आप सामने आ जाएगी और सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता भी बनी रहेगी।


प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल

शिकायतकर्ता का कहना है कि उन्होंने यह शपथ पत्र और लिखित शिकायत 19 मई को जिलाधिकारी व बीडीओ को सौंप दिया था, लेकिन अब तक न तो कोई अधिकारी जांच के लिए गांव में आया और न ही शिकायतकर्ता से किसी प्रकार का संपर्क किया गया। इससे नाराज होकर अब वे मीडिया के माध्यम से अपनी बात जन-जन तक पहुंचाना चाहते हैं।

उनका कहना है, “जब जनता की आवाज़ को अनसुना कर दिया जाए, तो लोकतंत्र का उद्देश्य ही खत्म हो जाता है। मुझे उम्मीद है कि अब जिला प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेकर समयबद्ध जांच कराएगा।


ग्रामवासियों की प्रतिक्रिया

गांव के अन्य निवासियों से बातचीत करने पर यह भी पता चला कि वहां के कई लोग ग्राम प्रधान की कार्यशैली से नाराज़ हैं, लेकिन डर या राजनीतिक दबाव के चलते खुलकर सामने नहीं आ पा रहे। कुछ ग्रामीणों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि –

“गांव में विकास कार्य सिर्फ कागजों पर हो रहा है। हम लोगों को दिखाया जाता है कि यह सड़क बनी है, वह नाली बनी है, लेकिन हकीकत यह है कि कई कार्य तो शुरू भी नहीं हुए।”


ग्राम पंचायत की भूमिका और सरकार की योजनाएं

गौरतलब है कि सरकार द्वारा ग्रामीण विकास के लिए हर साल भारी मात्रा में धनराशि भेजी जाती है। मनरेगा योजना, 14वां और 15वां वित्त आयोग, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, स्वच्छ भारत मिशन, हर घर नल योजना जैसी योजनाएं इसी उद्देश्य से शुरू की गई हैं कि गांवों का समुचित और टिकाऊ विकास हो सके। लेकिन यदि इन योजनाओं का सही तरीके से उपयोग न हो और योजनाएं सिर्फ भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएं, तो ग्रामीण भारत की तस्वीर कभी नहीं बदल सकती।


क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

विकास कार्यों की निगरानी कर रहे समाजसेवी श्री रामदीन मिश्र का कहना है कि, “यदि इस प्रकार की शिकायतें लगातार आ रही हैं, तो सरकार को पंचायत स्तर पर सतर्कता जांच दल भेजना चाहिए। सिर्फ ऑडिट रिपोर्ट से असली हालात नहीं पता चलते, बल्कि मौके पर जाकर जांच होनी चाहिए।


विधिक प्रक्रिया क्या कहती है?

ग्राम पंचायत से संबंधित शिकायतों के निस्तारण की प्रक्रिया उत्तर प्रदेश पंचायती राज अधिनियम और मनरेगा एक्ट के अनुसार तय की गई है। यदि कोई व्यक्ति शपथ पत्र देकर भ्रष्टाचार की शिकायत करता है, तो प्रशासनिक अधिकारियों के लिए आवश्यक हो जाता है कि वे उस पर त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई करें।


विश्व सेवा संघ की विशेष टिप्पणी

यह मामला केवल तेजगढ़ गांव तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे राज्य और देश के उन हजारों गांवों की तस्वीर है, जहाँ पर सरकारी धन का दुरुपयोग, बिना निगरानी के कार्य और कागजी खानापूरी से विकास की अवधारणा को ठेस पहुंच रही है। यदि समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो ग्रामीण विकास योजनाएं जनता के विश्वास से बहुत दूर हो जाएंगी।


निष्कर्ष:

शिकायतकर्ता चीनक ने न केवल एक सामान्य शिकायत दर्ज की है, बल्कि उन्होंने शपथ पत्र देकर उसे कानूनी रूप भी दिया है, जो कि गंभीरता का संकेत है। अब यह देखना शेष है कि प्रशासन इस पर कितनी तेजी और पारदर्शिता से कार्रवाई करता है। जनहित में यह आवश्यक है कि भ्रष्टाचार के मामलों को प्राथमिकता पर लेकर ग्राम पंचायत स्तर पर भी जवाबदेही सुनिश्चित की जाए।


रिपोर्टर
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