बढ़नी रेलवे स्टेशन पर किशोरी से दुष्कर्म की कोशिश: SSB जांच में हुआ सनसनीखेज खुलासा, एक रेलवे कर्मचारी हिरासत में
सिद्धार्थनगर (बढ़नी), 6 मई 2025
भारत-नेपाल सीमा से लगे कस्बे बढ़नी में एक नाबालिग किशोरी के साथ हुए कुकृत्य के प्रयास ने समूचे क्षेत्र को हिला कर रख दिया है। नेपाल जाने की कोशिश में भटकती किशोरी के साथ रेलवे परिसर में कथित छेड़छाड़ और दुष्कर्म की कोशिश की गई। यह मामला तब उजागर हुआ जब वह सोमवार सुबह सीमा पार करने के प्रयास में सशस्त्र सीमा बल (SSB) की जांच में पकड़ी गई और पूछताछ में उसने अपनी आपबीती सुनाई।
घटना ने न सिर्फ रेलवे परिसर की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी उजागर किया है कि किस प्रकार असुरक्षित सार्वजनिक स्थल, महिलाओं और किशोरियों के लिए खतरे का केंद्र बनते जा रहे हैं।
रात की खामोशी में हुई दरिंदगी की कोशिश
जानकारी के अनुसार, रविवार रात लगभग 10 बजे किशोरी नेपाल जाने के इरादे से बढ़नी सीमा पर पहुंची, लेकिन उस समय सीमा बंद हो चुकी थी। अनजान शहर और अकेलेपन में वह भटकती हुई बढ़नी रेलवे स्टेशन पहुंची, जहां कथित रूप से कुछ युवकों ने उसे बहला-फुसलाकर अपने जाल में फंसाया।
किशोरी ने बताया कि उसे खाने और सुरक्षित ठहरने का आश्वासन दिया गया, लेकिन इसके बाद उसे रेलवे परिसर के एक सुनसान हिस्से में ले जाकर जबरदस्ती करने की कोशिश की गई। सौभाग्यवश, वह किसी तरह खुद को छुड़ाकर वहां से निकल पाई और सुबह तक बॉर्डर की ओर निकल पड़ी।
SSB की सतर्कता से खुला मामला
सोमवार सुबह जब किशोरी ने एक बार फिर बॉर्डर पार करने का प्रयास किया, तो सीमा पर तैनात SSB की 50वीं वाहिनी ने उससे पूछताछ की। पूछताछ के दौरान वह घबरा गई और रोने लगी, जिसके बाद उसने पूरी घटना का विवरण दिया।
SSB ने तत्काल पुलिस को सूचना दी और किशोरी को अपनी सुरक्षा में लेकर स्थानीय थाने को सौंपा। मामला अत्यंत संवेदनशील प्रतीत होते ही पुलिस हरकत में आई।
ढेबरुआ पुलिस की तत्परता: दो रेलवे कर्मी हिरासत में
SSB की रिपोर्ट पर त्वरित कार्रवाई करते हुए ढेबरुआ थाना पुलिस ने बढ़नी रेलवे स्टेशन पर कार्यरत एक कर्मचारियों को हिरासत में लिया है। हालांकि आधिकारिक रूप से नामों का खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार कर्मचारियों की भूमिका गंभीर है और प्रथम दृष्टया उन पर संदेह मजबूत है।
पुलिस द्वारा आईपीसी की संगीन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करने की प्रक्रिया चल रही है। किशोरी के बयान को मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज कराने और बाल कल्याण समिति के माध्यम से उचित संरक्षण देने की व्यवस्था की जा रही है।
प्रभावशाली चेहरों पर भी संदेह की सुई
घटना की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे यह आशंका प्रबल हो रही है कि इस मामले में कुछ स्थानीय रसूखदार लोग और सफेदपोश चेहरे भी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शामिल हो सकते हैं।
विश्व सेवा संघ को मिली विशेष जानकारी के अनुसार, कुछ प्रभावशाली व्यक्ति आरोपियों को बचाने के लिए प्रशासन पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इससे यह भी संकेत मिलते हैं कि मामला सिर्फ व्यक्तिगत अपराध नहीं, बल्कि किसी गहरी साजिश या मानव तस्करी नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है।
रेलवे परिसर की सुरक्षा पर बड़ा सवाल
यह घटना एक बार फिर रेलवे परिसरों की सुरक्षा व्यवस्था पर गहरे सवाल उठाती है। बढ़नी रेलवे स्टेशन पर न तो पर्याप्त सीसीटीवी कैमरे हैं और न ही महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस निगरानी व्यवस्था।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि रेलवे परिसर लंबे समय से अराजकता का शिकार रहा है। कई बार वहां शराबियों, असामाजिक तत्वों और संदिग्ध गतिविधियों की सूचना दी गई, लेकिन प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
क्या यह मानव तस्करी का मामला है?
पुलिस और SSB की जांच अब इस दिशा में भी आगे बढ़ रही है कि क्या किशोरी किसी मानव तस्करी गिरोह की शिकार थी? वह कहां से आई थी, उसे नेपाल क्यों जाना था, और क्या कोई व्यक्ति या गिरोह उसे बॉर्डर पार कराने में शामिल था — ये सभी सवाल जांच के केंद्र में हैं।
इस संभावना को बल इसलिए भी मिल रहा है क्योंकि भारत-नेपाल सीमा मानव तस्करी के लिए कुख्यात रही है और अक्सर लड़कियों को बहला-फुसलाकर सीमा पार भेजने के मामले सामने आते रहते हैं।
समाज में आक्रोश, महिला संगठनों की मांग – कठोर कार्रवाई हो
घटना के सामने आने के बाद क्षेत्रीय समाज में गहरा रोष व्याप्त है। महिला संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस अपराध के दोषियों को त्वरित न्याय और कठोरतम सजा देने की मांग की है।
“यह सिर्फ एक लड़की की कहानी नहीं, बल्कि समाज की असफलता का आईना है,” — स्थानीय समाजसेवी रचना श्रीवास्तव ने कहा। उन्होंने रेलवे प्रशासन और पुलिस से स्टेशन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सीसीटीवी, गार्ड तैनाती और महिला हेल्पडेस्क की तत्काल व्यवस्था की मांग की है।
Vishv Seva Sangh की विशेष रिपोर्ट: न्याय की मांग के साथ जिम्मेदारियों का आह्वान
Vishvsevasangh.com की टीम इस घटना को केवल एक अपराध नहीं, बल्कि व्यवस्था की विफलता, सामाजिक संवेदनहीनता और महिला सुरक्षा की चुनौती के रूप में देखती है।
यह मामला बताता है कि कैसे एक नाबालिग बच्ची अपने भविष्य के सपनों के साथ भटकती हुई अपराधियों के शिकंजे में पहुंच सकती है — और कैसे एक चौकस सुरक्षा बल (SSB) और तत्पर पुलिस ही उसे न्याय की ओर ले जा सकती है।
निष्कर्ष: अब समय है कि व्यवस्था जवाबदेह बने
बढ़नी की यह घटना एक कड़ी चेतावनी है। सार्वजनिक स्थानों को सुरक्षित बनाना अब केवल सरकारी कर्तव्य नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। रेलवे प्रशासन, जिला प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी घटनाएं भविष्य में न दोहराई जाएं।
विश्व सेवा संघ इस प्रकरण की हर स्थिति पर पैनी नजर बनाए हुए है और जनता को हर अपडेट समय पर पहुंचाता रहेगा।
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