विश्व सेवा संघ, संवाददाता अभय पाण्डेय

लखीमपुर खीरी – जनपद खीरी तहसील निघासन में संविधान निर्माता, सामाजिक न्याय के पुरोधा डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर निघासन क्षेत्र में भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया गया। इस आयोजन में हजारों की संख्या में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता और आम नागरिक शामिल हुए। शोभायात्रा की शुरुआत निघासन से हुई, जो लगभग 20 किलोमीटर लंबी दूरी तय कर ढखेरवा चौराहे तक पहुँची

विकास खंड निघासन में डॉ. भीमराव अंबेडकर की 135वीं जयंती उत्साह के साथ मनाई गई। निघासन 138 विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी की ओर से भी बाबा साहेब की जयंती के उपलक्ष्य में एक भव्य बाइक रैली का आयोजन किया गया। इस रैली का नेतृत्व भाजपा जिलाध्यक्ष सुनील सिंह और निघासन के विधायक शशांक वर्मा ने किया।

निघासन 138 विधानसभा क्षेत्र में बेलरायां, सिंगाही, बम्हनपुर, झंडी, तिकुनिया, आदि क्षेत्रों से भारी संख्या में भीम आर्मी व भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता पहुंचे। सभी कार्यकर्ता निघासन चौराहे पर एकत्रित हुए और गुलाल उड़ाते, बाबा साहेब के जयकारों के साथ डीजे की धुन पर झूमते हुए शोभायात्रा में शामिल हुए।

बाइक रैली में बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। रैली के दौरान देशभक्ति और सामाजिक समरसता के नारों से वातावरण गूंज उठा। इस मौके पर जिलाध्यक्ष सुनील सिंह, निघासन 138 विधानसभा  विधायक शशांक वर्मा, जिला महामंत्री विनोद लोधी, मंडल अध्यक्ष देवेंद्र चतुर्वेदी, श्याम जी पाण्डेय, सुनील मौर्या, रामकुमार मौर्य, पंकज गिरी, ध्रुव वर्मा, विश्व सेवा संघ दैनिक हिंदी समाचार-पत्र जिला प्रभारी संजय शुक्ला, निघासन तहसील प्रभारी अभय पाण्डेय, निघासन तहसील संवाददाता आदिल अली, कई गणमान्य नेता और कार्यकर्ता, पत्रकार मौजूद रहे।

समाज में समानता, न्याय और भाईचारे का संदेश देते हुए बाबा साहेब की जयंती पर निकली यह शोभायात्रा और बाइक रैली निघासन क्षेत्र के लोगों के लिए एक ऐतिहासिक अवसर बन गई।

डॉ० आंबेडकर से जुडी कुछ बाते

डॉ. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था। बाबा साहेब ने अपना जीवन समाज में पिछड़े वर्ग के उत्थान के लिए समर्पित किया। वे एक महान समाज सुधारक और विधि विशेषज्ञ थे, जिन्होंने भारतीय संविधान की रचना में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्हें उनके कार्यों के लिए 1990 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

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"चाटुकारिता नहीं पत्रकारिता ✍️✍️"

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