सिद्धार्थनगर के बांसी में अतिक्रमण हटाने के विरोध में सपा नेताओं की गिरफ्तारी, प्रशासन पर सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप। जानिए पूरी खबर। Ramleela Maidan से अतिक्रमण हटाने पर सपा नेताओं की गिरफ्तारी।
विश्व सेवा संघ, ब्यूरो
सिद्धार्थनगर, यूपी – जनपद सिद्धार्थनगर के बांसी कस्बे में स्थित ऐतिहासिक रामलीला मैदान एक बार फिर सुर्खियों में है। मंगलवार को प्रशासन द्वारा मंगल बाजार इलाके में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व विधायक विजय पासवान, जिलाध्यक्ष लालजी यादव, और दर्जनों सपा कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। यह घटना न सिर्फ स्थानीय स्तर पर बल्कि पूरे जिले की राजनीति में चर्चा का विषय बन गई है।
अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर सपा का विरोध
नगरपालिका बांसी द्वारा रामलीला मैदान और मंगल बाजार सब्जी मंडी क्षेत्र में वर्षों पुराने अतिक्रमण को हटाने के लिए बुलडोजर चलाया गया। प्रशासन का कहना है कि यह जमीन सरकारी रिकॉर्ड में सार्वजनिक उपयोग हेतु चिन्हित है, जिस पर अवैध कब्जा किया गया था। वहीं समाजवादी पार्टी ने इस कार्रवाई का पुरजोर विरोध करते हुए धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया।
सपा नेताओं का आरोप है कि रामलीला मैदान के किनारे 100 वर्षों से रह रहे हिंदू परिवारों को निशाना बनाकर जबरन हटाया जा रहा है, जबकि प्रशासन ने इन परिवारों को “अवैध कब्जेदार” घोषित किया है। सपा जिलाध्यक्ष लालजी यादव ने कहा कि यह कार्रवाई “राजनीतिक दबाव” में की जा रही है और इसमें “सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग” हुआ है।
भाजपा नेताओं पर गंभीर आरोप
सपा नेताओं का आरोप है कि भाजपा से जुड़े कुछ प्रभावशाली नेताओं ने स्थानीय हिंदू परिवारों को मुसलमान बताकर प्रशासन से कार्रवाई करवाई है, जिससे क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश की जा रही है। सपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिन परिवारों को हटाया गया, वे दशकों से यहां रह रहे हैं और उनका नाम राजस्व अभिलेखों में भी है।
पुलिस और प्रशासन की संयुक्त कार्रवाई
मंगलवार सुबह से ही नगरपालिका, राजस्व विभाग और पुलिस विभाग के अधिकारी बड़ी संख्या में बल के साथ मौके पर पहुंचे। रामलीला मैदान और मंगलबाजार सब्जी मंडी क्षेत्र में भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया शुरू की गई। कई दुकानों और घरों को जेसीबी मशीन से तोड़ा गया।
इस दौरान सपा नेताओं ने मौके पर पहुंचकर धरना देना शुरू किया, जिसे पुलिस ने रोकने की कोशिश की। जब बात नहीं बनी, तो पूर्व विधायक विजय पासवान, जिलाध्यक्ष लालजी यादव समेत दर्जनों सपा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर कोतवाली बांसी ले जाया गया। इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें पुलिस नेताओं को जबरन गाड़ी में बैठाकर ले जाती दिख रही है।
कार्यकर्ताओं को किया गया हाउस अरेस्ट
सपा कार्यकर्ताओं का आरोप है कि प्रशासन ने कार्रवाई से पहले ही कई सपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को नजरबंद कर दिया था। सपा कार्यकर्ता मोनू दुबे को पहले से ही हाउस अरेस्ट कर लिया गया था, ताकि वह विरोध में शामिल न हो सके।
सपा ने कहा—”लोकतंत्र की हत्या हो रही है”
गिरफ्तारी के बाद सपा नेताओं ने बयान जारी करते हुए कहा कि यह कार्रवाई लोकतंत्र की हत्या है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए पुलिस और प्रशासन का गलत इस्तेमाल कर रही है। जिलाध्यक्ष लालजी यादव ने कहा कि “हम शांतिपूर्वक धरना दे रहे थे, हमारी मांग सिर्फ इतनी थी कि 100 सालों से रह रहे गरीब हिंदू परिवारों को जबरन न हटाया जाए। लेकिन हमें गिरफ्तार कर लिया गया।”
प्रशासन का पक्ष
प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि रामलीला मैदान और मंगलबाजार क्षेत्र में अतिक्रमण को हटाना आवश्यक था, क्योंकि यहां सार्वजनिक कार्यक्रमों और त्योहारों के आयोजन में लगातार बाधा आ रही थी। नगर पालिका के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई किसी भी धार्मिक या जातीय पहचान के आधार पर नहीं, बल्कि केवल सरकारी भूमि की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए की गई है।
नगरपालिका ईओ, उपजिलाधिकारी, और क्षेत्राधिकारी बांसी की उपस्थिति में कार्रवाई की गई। अधिकारियों ने कहा कि लोगों को पहले ही नोटिस दिया गया था, और बार-बार चेतावनी के बावजूद अतिक्रमण नहीं हटाया गया, जिसके कारण बुलडोजर चलाना पड़ा।
माहौल तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में
घटना के बाद बांसी कस्बे का माहौल थोड़ा तनावपूर्ण हो गया, लेकिन पुलिस की सतर्कता और भारी सुरक्षा व्यवस्था के कारण कोई बड़ी घटना नहीं हुई। प्रशासन ने संभावित विरोध को देखते हुए इलाके में धारा 144 लागू कर दी है और अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।
राजनैतिक दलों की प्रतिक्रिया
इस घटना पर समाजवादी पार्टी के अलावा कांग्रेस, बसपा और अन्य विपक्षी दलों ने भी बयान जारी करते हुए योगी सरकार को आड़े हाथों लिया है। सपा प्रदेश अध्यक्ष ने मांग की है कि गिरफ्तार नेताओं को तुरंत रिहा किया जाए और जिन परिवारों को हटाया गया है, उन्हें पुनर्वास दिया जाए।
वहीं भाजपा नेताओं का कहना है कि यह कार्रवाई “न्यायोचित और कानूनी” है और किसी भी पार्टी को अवैध अतिक्रमण के समर्थन में खड़ा नहीं होना चाहिए।
निष्कर्ष:
सिद्धार्थनगर के बांसी क्षेत्र में हुई अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई ने एक बार फिर राजनीति और प्रशासन के बीच टकराव की स्थिति को उजागर कर दिया है। जहां प्रशासन इसे “कानूनी प्रक्रिया” बता रहा है, वहीं विपक्ष इसे “राजनीतिक बदले की भावना” से की गई कार्रवाई करार दे रहा है।
अब देखना यह होगा कि इस मुद्दे पर प्रशासन का अगला कदम क्या होगा और सपा इस आंदोलन को कितनी दूर तक ले जाती है। लेकिन एक बात तो तय है कि आने वाले समय में बांसी का रामलीला मैदान सिर्फ धार्मिक आयोजनों का नहीं, बल्कि राजनीतिक घटनाओं का भी केंद्र बनता दिखेगा।