अखंड भारत में केवल वर्तमान भारत नहीं, बल्कि प्राचीन भारत के भाग भी शामिल करने का है संकल्प, जिला प्रचारक अवनीश :

इटवा सिद्धार्थनगर। स्थानीय कस्बे के सरस्वती विद्यालय कमदालालपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर तिरंगा ध्वजारोहण कर राष्ट्रगान किया। स्वयंसेवकों ने वंदेमातरम एवं भारत माता के जयघोष के साथ राष्ट्रधर्म निभाने का संकल्प लिया। इस दौरान जिला प्रचारक बांसी अवनीश ने कहा की 14 अगस्त 1947 की रात, जब भारत का विभाजन हुआ, तो एक ओर स्वतंत्रता का स्वप्न साकार हुआ, वहीं दूसरी ओर करोड़ों हृदय बिखर गए। घाव: पंजाब, बंगाल, सिंध, बलूचिस्तान और उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत में हिंसा, लूटपाट और सामूहिक पलायन हुआ था। सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से एक बार पुनः भारत को उसके मूल स्वरूप में लाने के लिए हम सभी को संकल्पित होने की आवश्यकता है। यह वही दिन है जब पाकिस्तान ने अस्तित्व ग्रहण किया। संघ के लिए यह दिन केवल दुख का स्मरण नहीं, बल्कि अखंड भारत के संकल्प को सुदृढ़ करने का अवसर है। स्वयंसेवक प्राचीन भारत की सांस्कृतिक सीमाओं और गौरवगाथाओं का वाचन करते हैं। अखंड भारत के लिए बलिदान देने वाले वीरों (गुरु तेग बहादुर, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, नेताजी सुभाष आदि) का स्मरण करते हुए कहा कि 1965 का भारत-पाक युद्ध: संघ ने 14 अगस्त को अखंड भारत का संकल्प दिवस बनाकर सीमा पर तैनात सैनिकों के लिए सहयोग अभियान चलाया। और 1971 का बांग्लादेश मुक्ति संग्राम: संघ शाखाओं में बांग्लादेश को भारत का सांस्कृतिक अंग बताकर शरणार्थियों की मदद की गई। 1992 अयोध्या आंदोलन के समय अखंड भारत का विचार जन-जन में व्यापक हुआ। 2019 अनुच्छेद 370 हटने पर संघ ने इसे “अखंड भारत की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। अखंड भारत की अवधारणा की दृष्टि में अखंड भारत में केवल वर्तमान भारत नहीं, बल्कि प्राचीन भारत के ये भाग भी शामिल हैं। उत्तर-पश्चिम: अफगानिस्तान (गंधार), पाकिस्तान (सिंध-पंजाब), बलूचिस्तान।पूर्व: बांग्लादेश, म्यांमार। दक्षिण: श्रीलंका, मालदीव। उत्तर: नेपाल, भूटान, तिब्बत। ये सभी भौगोलिक इकाइयां वेद-पुराण, महाकाव्यों और ऐतिहासिक यात्रा-पथों से भारत की सांस्कृतिक चेतना में रची-बसी हैं। इस अवसर पर पूर्व शिक्षा मंत्री उत्तर प्रदेश डॉ सतीश द्विवेदी ने अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान समय में पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार। अफगानिस्तान में तालिबान की पुनः सत्ता और हिंदू-बौद्ध धरोहरों का विनाश। श्रीलंका, नेपाल और भूटान में बढ़ती चीनी दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अखंड भारत केवल स्मृति नही बल्कि भारत की स्थायी सुरक्षा और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की आवश्यकता है। इसी क्रम में खंड कार्यवाह इटवा श्यामलाल ने कहा कि14 अगस्त हमें तीन बातें याद दिलाता है। 1 विभाजन के घाव को भूलना नहीं। 2. सांस्कृतिक एकता की शक्ति में विश्वास रखना। 3. अखंड भारत के लक्ष्य के लिए पीढ़ी दर पीढ़ी कार्य करते रहना। कार्यक्रम में संघ चालक राकेश, नगर संघ चालक राधेश्याम, प्रचारक इटवा राहुल,प्रधानाचार्य हरिराम गुप्ता, नगर पंचायत अध्यक्ष विकास जायसवाल सहित स्वयंसेवक एवं विद्यार्थी आदि लोग उपस्थित हैं।