Sadak hadsa

सिद्धार्थनगर, 13 जुलाई 2025
रविवार को कुशीनगर में हुई एक दर्दनाक सड़क दुर्घटना ने सिद्धार्थनगर को गहरे शोक में डुबो दिया है। इस हादसे में जिले के चार प्रतिष्ठित और सांस्कृतिक रूप से सक्रिय युवाओं – रामकरन गुप्त, सुजीत जायसवाल, कैलाश मणि त्रिपाठी और मनोज सिंह – की असमय मृत्यु हो गई। कार और ट्रैक्टर-ट्रॉली की टक्कर में हुई यह दुर्घटना इतनी भीषण थी कि चारों की मौके पर ही मृत्यु हो गई, जबकि दो अन्य युवक गंभीर रूप से घायल हैं।

हादसा कुशीनगर जिले के बगहीकुटी इलाके में NH-28 पर रविवार पूर्वान्ह घटित हुआ। सभी छह मित्र बाबा धाम (झारखंड) की धार्मिक यात्रा पर निकले थे। मृतकों में

रामकरन गुप्त (45) कानूनगो,

सुजीत जायसवाल (35) एडीओ पंचायत,

कैलाश मणि त्रिपाठी (45) शिक्षक,

मनोज सिंह (38) शामिल थे।

घायलों में पत्रकार राजेश शर्मा और प्रशांत शर्मा हैं, जिनका इलाज जारी है। दुर्घटना का कारण चालक को झपकी आना बताया जा रहा है।

जिले की पहचान थे ये चेहरे

ये चारों युवक न केवल अपने-अपने कार्यक्षेत्र में कुशल और ईमानदार थे, बल्कि जिले की सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों के आधार स्तंभ भी थे।

सुजीत जायसवाल, सांस्कृतिक आयोजनों के वित्तीय स्तंभ माने जाते थे।

रामकरण गुप्त का रुझान साहित्य और समाजसेवा की ओर था।

कैलाश मणि त्रिपाठी शिक्षा जगत के साथ-साथ युवा सांस्कृतिक मंचों से भी जुड़े थे।

मनोज सिंह सामाजिक संवाद और सहयोग में सक्रिय थे।

इनकी उपस्थिति शहर की साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों को दिशा देती थी। अब इनके जाने से एक खालीपन आ गया है जिसे भरना आसान नहीं होगा।

घरों में मातम, मोहल्लों में सन्नाटा

मृतकों के घर – मधुकरपुर मोहल्ला, स्टेशन रोड, और पूरब पड़ाव – शोक में डूबे हैं। पुरुष स्तब्ध हैं, महिलाओं की आंखें रो-रोकर सूज गई हैं। बच्चे अवाक हैं – जिनके सिर से उनके मार्गदर्शक और पालक छिन गए। खास तौर पर सुजीत, रामकरण और कैलाश के बच्चे अभी करियर की राह पर ही थे। उनकी शिक्षा और भविष्य अब समाज की जिम्मेदारी बन गई है।

मित्रों की जुबानी, ‘अब साहित्यिक मंच सूने होंगे’

मृतकों के मित्र संतोष श्रीवास्तव ने कहा, “वे सभी साहित्यिक गतिविधियों के प्रेरणास्रोत थे। उनकी उपस्थिति मंच को जीवंत बना देती थी। अब वो ऊर्जा, वो समर्पण, वो सहभागिता दुर्लभ हो गई है।”

शवों के इंतज़ार में तड़पता शहर

चारों शव सोमवार को सिद्धार्थनगर पहुंचेंगे। उनके अंतिम दर्शन और विदाई के लिए शहर भर के नागरिक, साहित्यकार, समाजसेवी और अधिकारी एकत्र होंगे। यह एक ऐसा क्षण होगा जब सिद्धार्थनगर अपनों को अंतिम विदाई देगा और सांस्कृतिक परंपरा में एक गहरा शून्य महसूस करेगा।


विश्व सेवा संघ परिवार दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
उनकी सेवाएं, स्मृतियां और योगदान सिद्धार्थनगर की संस्कृति में अमर रहेंगे।
ईश्वर शोकाकुल परिजनों को इस दुःख को सहने की शक्ति प्रदान करें।

🙏 श्रद्धांजलि!

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