📍नई दिल्ली | Vishv Seva Sangh Digital Desk
भारतीय विज्ञापन जगत में अगर किसी एक नाम ने Creativity को जन-जन तक पहुँचाया है, तो वह हैं पियूष पांडे (Piyush Pandey)।
उन्होंने ऐसे विज्ञापन बनाए जो सिर्फ बिके नहीं — बल्कि लोगों के दिलों में उतर गए।
भारत की advertising industry को international पहचान दिलाने वाले इस महान व्यक्तित्व का 23 अक्टूबर 2025 को निधन हो गया।
🌿 जीवन परिचय
- नाम: पियूष पांडे (Piyush Pandey)
- जन्म: 1955, जयपुर, राजस्थान
- निधन: 23 अक्टूबर 2025, आयु 70 वर्ष
- शिक्षा: St. Xavier’s School, Jaipur | St. Stephen’s College, Delhi University
- जीवनसाथी: नीता पांडे (Nita Pandey)
- पद: Chief Creative Officer Worldwide & Executive Chairman, Ogilvy India
- पुरस्कार: Padma Shri (2016), LIA Legend Award (2024), Clio Lifetime Achievement Award
💼 विज्ञापन जगत में सफर
पियूष पांडे ने 1982 में Ogilvy & Mather India में अपना करियर शुरू किया।
शुरुआती दिनों में उन्होंने client servicing में काम किया, लेकिन उनकी असली पहचान बनी creative department में उनके असाधारण काम से।
धीरे-धीरे वे Ogilvy India के Executive Chairman और फिर Worldwide Chief Creative Officer बने — जो किसी भारतीय के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी।
उनका मानना था कि “अच्छा विज्ञापन वही है जो दिल से बोले, दिमाग से नहीं।”
इसी सोच ने उन्हें भारत के सबसे सम्मानित विज्ञापन पेशेवरों की श्रेणी में ला खड़ा किया।
🎬 उनके कुछ प्रसिद्ध Campaigns
पियूष पांडे ने वो campaigns रचे जो advertising की किताबों में case study बन गए —
- Fevicol: “Fevicol ka mazboot jod, tootega nahi!”
- Cadbury Dairy Milk: “Kuch khaas hai zindagi mein.”
- Asian Paints: “Har ghar kuch kehta hai.”
- Pulse Polio Awareness: “Do boond zindagi ke.”
इन अभियानों में उनकी creativity के साथ-साथ भारत की जमीनी सच्चाई झलकती थी।
उन्होंने बताया कि advertisement सिर्फ बेचने के लिए नहीं — बल्कि emotional connect बनाने के लिए होते हैं।
💬 उनकी सोच
“Advertising is not about manipulation, it’s about communication.” – Piyush Pandey
वे हमेशा कहते थे कि किसी ब्रांड को सफल बनाना है तो audience की भाषा में बात करो।
उनके विज्ञापनों में न तो चमक-धमक थी, न ही कोई जटिल foreign concept —
बस सच्ची भावना और relatable कहानी थी, जिसने उन्हें ‘Ad Man of India’ बना दिया।
🏅 सम्मान और उपलब्धियाँ
- 2016: भारत सरकार द्वारा Padma Shri Award
- 2024: LIA Legend Award (London International Awards)
- Clio Lifetime Achievement – विश्व स्तर पर सर्वोच्च सम्मान
- Cannes Lions Festival में Jury Chairman के रूप में कार्य किया
उनके योगदान से भारत के कई ब्रांड्स ने वैश्विक पहचान हासिल की।
🕊️ निधन और श्रद्धांजलि
23 अक्टूबर 2025 को 70 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ।
उनकी मृत्यु के बाद विश्वभर के creative professionals ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
Ogilvy India ने कहा —
“Piyush Pandey taught us that true advertising is about touching lives, not just selling products.”
🌏 विरासत (Legacy)
पियूष पांडे ने भारतीय विज्ञापन उद्योग को एक नई भाषा दी — “Indian simplicity with global appeal.”
उनकी सोच आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक बन गई है।
वे हमेशा याद किए जाएंगे एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जिन्होंने “ब्रांड नहीं, भावनाएं बेचीं।”
