विश्व सेवा संघ, संवाददाता अभय पाण्डेय

निघासन खीरी – उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, लखनऊ के परिसर में गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर आज एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का मुख्य विषय था—‘आधुनिक शिक्षापद्धति में गुरु-शिष्य परंपरा का अन्तर्सम्बंध’, जिस पर विद्वानों द्वारा गहन विचार-विमर्श किया गया।

तहसील निघासन क्षेत्र के ग्राम पंचायत बरोठा के तीन प्रतिष्ठित आचार्यों को सम्मानित किया गया| इसस सम्मान को पाकर न केवल इन आचार्यों का सम्मान बढ़ा है, बल्कि समस्त क्षेत्रवासियों में गर्व की अनुभूति है|

उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के द्वारा भव्य कार्यक्रम आयोजन में पं. राजेन्द्र त्रिपाठी को ज्योतिष एवं कर्मकांड के क्षेत्र में उनकी विशिष्ट साधना एवं सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया। वहीं पं. बृजेन्द्र त्रिपाठी को कर्मकांड के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान हेतु विशेष रूप से सम्मान प्रदान किया गया। इसके अतिरिक्त पं. वीरेंद्र त्रिपाठी को आजीवन संस्कृत भाषा की निःस्वार्थ सेवा और संरक्षण हेतु सम्मानित किया गया।

इस उपलब्धि पर क्षेत्रीय लोगों में हर्ष व्याप्त है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों, शिक्षाविदों व गणमान्यजनों ने सभी सम्मानित आचार्यों को शुभकामनाएं दीं और इसे बरोठा गांव के लिए गौरव की बात बताया।

गुरु पूर्णिमा के इस विशेष आयोजन ने एक बार फिर गुरु-शिष्य परंपरा की भारतीय शिक्षा प्रणाली में केंद्रीय भूमिका को रेखांकित किया और यह संदेश दिया कि आधुनिक युग में भी गुरुओं का मार्गदर्शन और उनकी निःस्वार्थ सेवा समाज के लिए प्रेरणा बनी हुई है। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा आयोजित यह आयोजन न केवल एक सांस्कृतिक और शैक्षिक संगम था, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी संस्कार, ज्ञान और सेवा की परंपरा से जोड़ने वाला प्रयास था।

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"चाटुकारिता नहीं पत्रकारिता ✍️✍️"

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