विश्व सेवा संघ, संवादसूत्र
शोहरतगढ। जनपद सिद्धार्थनगर के शोहरतगढ़ थाना क्षेत्र के अंतर्गत नगर पंचायत वार्ड संख्या 4 दशरथ नगर में उस समय हड़कंप मच गया जब एक निर्माणाधीन लाइब्रेरी की ज़मीन से एक महिला का शव बरामद हुआ। महिला की पहचान 25 वर्षीय नींबू मलिक पत्नी शिवकुमार, निवासी रामनगर, बिहार के रूप में की गई है। शव मिट्टी में गहराई से दबा हुआ पाया गया। स्थानीय लोगों द्वारा की गई सूचना पर पुलिस तत्काल मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर जांच प्रारंभ कर दी गई।
शव पर गंभीर चोटों के निशान, हत्या की आशंका प्रबल
पुलिस सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, महिला के शव पर विशेष रूप से चेहरे और गले पर गंभीर चोटों के निशान पाए गए हैं। ये चोटें किसी तेज धार वाले हथियार या जबरन दबाव से उत्पन्न प्रतीत होती हैं, जिससे प्रथम दृष्टया यह साफ हो रहा है कि महिला की हत्या की गई है।
मौके पर पहुंची फॉरेंसिक टीम, ASP प्रशांत कुमार, CO सुजीत राय और SDM राहुल सिंह ने जांच को गति देते हुए सुराग जुटाने का प्रयास किया। पुलिस द्वारा आसपास लगे CCTV कैमरों की फुटेज खंगाली जा रही है तथा मोबाइल लोकेशन और कॉल डिटेल्स के आधार पर संदिग्धों की पहचान की जा रही है।
स्थानीय लोगों में भय और रोष का माहौल
घटना की जानकारी फैलते ही आसपास के क्षेत्र में दहशत और आक्रोश का माहौल पैदा हो गया। स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर प्रशासन पूरी तरह विफल साबित हो रहा है।
स्थानीय निवासी रामऔतार मिश्र ने कहा, “हम अपने परिवार की बहू-बेटियों को लेकर अब असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। नगर पंचायत में लगातार महिलाएं निशाना बन रही हैं, लेकिन प्रशासन चुप है।”
पूर्व की घटना से जुड़ा संदेह: क्या है आपराधिक पैटर्न?
गौरतलब है कि इसी नगर पंचायत क्षेत्र से 28 नवम्बर 2024 को 16 वर्षीय रानी कसौधन लापता हुई थी। कुछ दिन बाद उसका शव खेतान विद्यालय के पास सड़क किनारे मिला। परिजनों ने बलात्कार व हत्या का आरोप लगाया था, लेकिन अब तक न FIR दर्ज हुई न कोई गिरफ्तारी। इस मामले में पुलिस की निष्क्रियता सामने आई थी। अब नींबू मलिक की हत्या की घटना से दोनों मामलों में समान पैटर्न नजर आ रहा है, जिससे क्षेत्र में संगठित अपराध की आशंका गहराती जा रही है।
प्रशासन की भूमिका सवालों के घेरे में
इन दोनों घटनाओं को देखते हुए जनपद प्रशासन और स्थानीय पुलिस पर सवाल खड़े हो रहे हैं। क्षेत्रीय जनता और सामाजिक संगठनों का मानना है कि यदि पहले मामले में समय पर कार्यवाही होती, तो संभवतः नींबू मलिक की जान बच सकती थी। महिला संगठनों ने भी इस विषय में आवाज़ उठाई है। शोहरतगढ़ की महिलाएं डरी हुई हैं। जब भी कोई घटना होती है, पुलिस खानापूर्ति कर केस ठंडे बस्ते में डाल देती है। महिलाओं की सुरक्षा सिर्फ सरकार के भाषणों तक सीमित है।” – यह कहना है महिला अधिकार मंच की जिला संयोजिका अनीता मिश्रा का।
पुलिस का बयान और कार्रवाई का दावा
पुलिस अधीक्षक कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्चाधिकारियों की निगरानी में टीम गठित की गई है। एसपी ने आश्वासन दिया है कि बहुत जल्द आरोपियों की गिरफ्तारी कर ली जाएगी।
ASP प्रशांत कुमार ने मीडिया से बातचीत में कहा,
“हम सभी पहलुओं पर जांच कर रहे हैं। फॉरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद सटीक जानकारी मिल सकेगी। प्रथम दृष्टया यह हत्या का मामला है, और इसमें शामिल दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।”
सरकार की शून्य सहिष्णुता नीति पर उठते सवाल
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा “महिला सशक्तिकरण” और “ज़ीरो टॉलरेंस अगेंस्ट क्राइम” की नीति को ज़ोरशोर से प्रचारित किया जाता है। लेकिन ज़मीनी सच्चाई इससे बिल्कुल विपरीत प्रतीत हो रही है। नींबू मलिक की हत्या इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि अपराधियों को कानून का कोई डर नहीं है।
जनता की मांग – हो CBI जांच या न्यायिक जांच आयोग
स्थानीय सामाजिक संगठनों, महिला मंचों और आम नागरिकों ने मांग की है कि इन मामलों की CBI जांच कराई जाए या फिर न्यायिक जांच आयोग का गठन किया जाए ताकि पीड़ित परिवारों को न्याय मिल सके और अपराधियों को सज़ा।
इस गंभीर मामले में उत्तर प्रदेश सरकार, गृह विभाग और राष्ट्रीय महिला आयोग से आग्रह करता है कि:
शोहरतगढ़ में महिलाओं पर हो रहे हमलों की गहराई से जांच करवाई जाए
पूर्व में घटित रानी कसौधन मामले की जांच पुनः खोली जाए
दोषी पुलिसकर्मियों पर लापरवाही हेतु सख्त कार्रवाई हो
क्षेत्र में महिला सुरक्षा के लिए विशेष सेल का गठन किया जाए
यह एक अकेली घटना नहीं, बल्कि एक चेतावनी है। जब तक अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण, पुलिसिया ढील और प्रशासनिक सुस्ती का लाभ मिलता रहेगा – तब तक महिलाएं सुरक्षित नहीं होंगी। हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम आवाज़ उठाएं, पीड़ितों के लिए न्याय मांगें और ऐसी व्यवस्था बनाएँ जिसमें किसी नींबू मलिक या रानी कसौधन को असमय और वीभत्स मौत न मरनी पड़े।