Pidita ki kahani

एक अत्यंत पीड़ादायक और शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है, जहाँ शोहरतगढ़ थाना क्षेत्र के धनगढ़ीया गांव में एक नवविवाहिता को उसके दो महीने के मासूम बेटे के सामने पीटकर घर से निकाल दिया गया। सिद्धार्थनगर में नवविवाहिता के साथ हैवानियत – मासूम बेटे के साथ घर से निकाला, पुलिस पर लापरवाही के आरोप

विश्व सेवा संघ संवाद सूत्र

जनपद सिद्धार्थनगर से एक अत्यंत पीड़ादायक और शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है, जहाँ शोहरतगढ़ थाना क्षेत्र के धनगढ़ीया गांव में एक नवविवाहिता को उसके दो महीने के मासूम बेटे के सामने पीटकर घर से निकाल दिया गया। पीड़िता साधना गुप्ता की कहानी सिर्फ एक महिला पर हुए अत्याचार की नहीं, बल्कि उस व्यवस्था पर भी सवाल उठाती है जो पीड़ित की जगह आरोपियों को बचाने में व्यस्त रहती है।

विवाह के बाद शुरू हुआ दहेज का अत्याचार

साधना गुप्ता, जो मूल रूप से बभनी गांव की निवासी हैं, उनका विवाह एक वर्ष पूर्व अजय गुप्ता से हुआ था। परिजनों के अनुसार, विवाह में लाखों रुपये नकद, फ्रिज, अलमारी, घरेलू सामान और अन्य उपहार दिए गए थे। बावजूद इसके, विवाह के बाद से ही दहेज की मांगें बढ़ती गईं। ससुराल पक्ष का व्यवहार दिन-ब-दिन हिंसात्मक होता चला गया।

4 मई की सुबह की दरिंदगी

पीड़िता ने बताया कि 4 मई की सुबह लगभग 7 बजे उसकी सास, ननद और पति ने उसे कमरे में बंद किया। उसके हाथ-पैर बांध दिए गए और बुरी तरह पीटा गया। यह सब उस वक्त हुआ जब उसकी गोद में उसका दो माह का मासूम बेटा था। वह चिल्लाती रही, लेकिन किसी ने मदद नहीं की।

पीड़िता का कहना है, “उन्होंने दरवाज़ा तोड़ा, मुझे घसीटा और फिर कमरे में बंद कर दिया। मेरे हाथ-पैर बांध दिए और मारते रहे। मेरी गोद में बच्चा था। मैंने उसे बचाने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं रुके।”

स्थानीय लोगों की मदद से बची जान

जब पीड़िता की चीखें गांव तक पहुंचीं, तब कुछ स्थानीय लोग वहां पहुंचे और किसी तरह साधना को छुड़ाया। इसके बाद साधना अपने मायके वालों के साथ थाने पहुंची और शिकायत दर्ज करवाई। लेकिन यहीं से शुरू होती है एक और पीड़ा – पुलिस की लापरवाही।

थाना शोहरतगढ़ में FIR दर्ज नहीं

साधना और उसके परिजनों का आरोप है कि थाना शोहरतगढ़ में शिकायत देने के बावजूद अब तक इस मामले में मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है। पुलिस ने केवल आरोपी पति का चालान कर खानापूर्ति कर दी, जबकि सास और ननद के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

पीड़िता की गुहार – महिला आयोग और जिलाधिकारी से

थक-हारकर अब पीड़िता और उसका परिवार जिलाधिकारी और महिला आयोग की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रहा है। वे मांग कर रहे हैं कि –

मामले की निष्पक्ष जांच हो

सभी आरोपियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए

पीड़िता और उसके बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए

थाना शोहरतगढ़ की भूमिका की जांच की जाए

सामाजिक सवाल

यह मामला केवल एक परिवार का घरेलू विवाद नहीं है, बल्कि समाज के उस विकृत चेहरे को उजागर करता है जहाँ एक बहू को इंसान नहीं, बोझ समझा जाता है। जब शादी के वक़्त दहेज देकर भी लड़की को सम्मान नहीं मिलता, तो सवाल सिर्फ ससुराल पर नहीं, पूरे समाज पर उठते हैं।

निष्कर्ष

क्या एक मां की पीड़ा, एक बच्चे की मासूमियत और एक बेटी की चीखें हमारे सिस्टम को झकझोरने के लिए काफी नहीं?
क्या पुलिस का काम सिर्फ खानापूर्ति रह गया है?
क्या महिला आयोग की भूमिका अब सिर्फ कागजों तक सीमित रह गई है?

‘विश्व सेवा संघ’ इस पीड़िता के साथ खड़े हैं और प्रशासन से मांग करते हैं कि साधना गुप्ता को न्याय मिले।

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