डुमरियागंज सिद्धार्थनगर। तहसील अंतर्गत कस्बा हल्लौर के एक होनहार युवा ने एक बार फिर शिक्षा के अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। स्वर्गीय अब्बास रज़ा (मोहतशिम) के सुपुत्र मोहम्मद रज़ा रिज़वी ने विश्व की प्रतिष्ठित ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी लंदन के विज्ञान विभाग में ‘फिलासफी ऑफ़ साइंस’ में पोस्ट-पीएचडी कोर्स में दाखिला पाकर न केवल अपने गांव, बल्कि पूरे जनपद और देश का नाम रोशन किया है। इस असाधारण उपलब्धि से हल्लौर गांव में खुशी और गर्व का माहौल है।
मोहम्मद रज़ा एक प्रतिष्ठित और शिक्षित परिवार से आते हैं, जहां उनके परिवार के कई सदस्यों ने देश के विभिन्न उच्च पदों पर अपनी सेवाएं दी हैं और सेवानिवृत्त हुए हैं। उनके पिता, स्वर्गीय अब्बास रज़ा, स्वयं भारतीय सेवा से एक सम्मानित पद से सेवानिवृत्त हुए थे। परिवार की इस शैक्षिक और सेवाभावी पृष्ठभूमि ने निसंदेह मोहम्मद रज़ा को भी उच्च शिक्षा और उत्कृष्टता की ओर प्रेरित किया।
ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी जैसे विश्वस्तरीय संस्थान में पोस्ट-पीएचडी के लिए उनका चयन उनकी कड़ी मेहनत, लगन और विषय में गहरी रुचि का प्रमाण है। ‘फिलासफी ऑफ़ साइंस’ जैसे जटिल और महत्वपूर्ण क्षेत्र में उच्च अध्ययन के लिए चुना जाना उनकी बौद्धिक क्षमता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को दर्शाता है। यह उपलब्धि न केवल उनके व्यक्तिगत करियर के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, बल्कि यह क्षेत्र के अन्य युवाओं को भी उच्च शिक्षा और अनुसंधान के लिए प्रेरित करेगी।मोहम्मद रज़ा की इस शानदार सफलता पर उनके गांव में बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।
अली महज़ियार, इंजी.एहतेशाम रिज़वी. इंजी. दिलबर रिज़वी, खुशतर मास्टर,प्रोफेसर डॉ. हसन शाहिद रिज़वी, सलमान बॉम्बे, रौनक,प्रोफेसर डॉ. अकबर जमील, मंजर इमाम, इंतेज़ार इमाम, पप्पू भाई, सलीम गुलशन पुलिस, हसन अब्बास, मुन्नू हैदर,एग्जीक्यूटिव इंजीनियर सैयद मोहम्मद मेहंदी, इंस्पेक्टर शादाब,हुसैन,इंजीनियरिंग आयात हुसैन, ताक़ीब रिज़्वी, मसूद हसन, एडवोकेट माहताब हैदर रिज़वी, नवेद रिज़्वी, नय्यर ज़ैदी, डॉक्टर ज़ुल्करनैन, इंजी. क़मर, हम्ज़ा, हुसैन, जाफर, अली, हुसैन नायाब रिज़्वी और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने उन्हें हार्दिक बधाई दी है और उनकी उज्जवल भविष्य की कामना की है। सभी ने एक स्वर में कहा कि मोहम्मद रज़ा की यह उपलब्धि हल्लौर गांव के लिए एक गौरव का क्षण है और उन्होंने अपनी प्रतिभा से गांव का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊंचा किया है। यह सफलता दर्शाती है कि यदि ग्रामीण प्रतिभाओं को सही अवसर और प्रोत्साहन मिले तो वे भी वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना सकते हैं।