विश्व सेवा संघ (ब्लॉक रिपोर्टर)
इटवा सिद्धार्थनगर । स्थानीय इटवा तहसील उप जिलाधिकारी न्यायालय में पेशकार राजेंद्र कुमार द्वारा की जा रही कथित अवैध वसूली से आम जनता बुरी तरह त्रस्त है। फरियादियों और मुकदमेबाजों का आरोप है कि पेशकार हर छोटे-बड़े काम के लिए रिश्वत की मांग करते हैं, जिससे न्याय प्रक्रिया महंगी और आम आदमी की पहुंच से बाहर होती जा रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, जमीन संबंधित मामलों में चल रहे वाद के तारीख बढ़ाकर लंबा समय खींचने के लिए और नकल प्राप्त करने तथा अन्य न्यायिक प्रक्रियाओं के दौरान पेशकार राजेंद्र कुमार द्वारा अपनी मनमानी ढंग से पैसे वसूलते हैं। यदि कोई व्यक्ति पैसे देने से इनकार करता है, तो उसके काम को जानबूझकर लटकाया जाता है या उसमें अनावश्यक देरी की जाती है। एक पीड़ित ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मैंने अपनी जमीन के वाद नकल के लिए आवेदन किया था। पेशकार ने इसके लिए रुपये की मांग की। जब मैंने उनके हिसाब से बड़ी रकम देने में असमर्थता जताई, तो मेरा काम कई दिनों तक अटका रहा। आखिरकार, मुझे हार मानकर पैसे देने पड़े। यह समस्या केवल एक या दो मामलों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह तहसील न्यायालय में एक व्यापक चलन बन गया है। ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले अशिक्षित और गरीब लोगों को विशेष रूप से निशाना बनाया जाता है, क्योंकि वे कानूनी प्रक्रियाओं से अनभिज्ञ होते हैं और उन्हें ठगना आसान होता है। तहसील न्यायालय में इस स्थिति से जनता में भारी आक्रोश है। कई सामाजिक संगठनों और स्थानीय प्रतिनिधियों ने इस अवैध वसूली के खिलाफ आवाज उठाई है और उच्च अधिकारियों से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि यदि इस पर रोक नहीं लगाई गई, तो तहसील न्यायालय पर से लोगों का विश्वास उठ जाएगा। जनता की मांग है कि इस अवैध वसूली पर तुरंत लगाम लगाई जाए और ऐसी व्यवस्था स्थापित की जाए जिससे न्याय प्रक्रिया पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त हो सके।